[16/12, 6:54
am] ❤: 🌻:सर्वमंगल मांग्लये शिवे सर्वार्थ साधिके,शरण्ये त्र्यम्बके गौरी
नारायणी नमोस्तुते:या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता:या देवी
सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थितः सर्वे भवंतु सुखिनःसर्वे संतु
निरामयाःसर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्🌻नमस्तस्ये
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमःश्री नारायणी माता रानी हम सब की मंगल
मनोकामनाए पूर्ण करे:🌻आशा करता हूं की आपका प्यार और स्नेह हमेशा बना
रहे:🌻
[16/12, 6:54 am] ❤: शनिवार का पंचाग
16 दिसम्बर 2017
"ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।"
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन
(वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु
का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना
चाहिए
शनिवार के दिन
प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल
के नीचे तेल का चतुर्मुखी दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का
निवारण होता है ।
शनिवार
के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का
जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने
लगते है ।
*विक्रम संवत् 2074
*शक संवत - 1939
* अयन - दक्षिणायण
*ऋतु - हेमंत ऋतु
*मास - पौष माह
*पक्ष - कृष्ण पक्ष
तिथि त्रयोदशी - 07:10 तक तदोपरांत चतुर्दशी ।
तिथि का स्वामी - त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी हैं तथा चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव जी है ।
त्रयोदशी
तिथि के स्वामी कामदेव हैं। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते है । पौराणिक
कथाओं के अनुसार कामदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र माने गए
हैं। उनका विवाह प्रेम और आकर्षण की देवी रति से हुआ है। इनकी पूजा करने से
जातक रूपवान होता है, उसे अपने प्रेम में सफलता एवं इच्छित एवं योग्य
जीवनसाथी प्राप्त होता है। त्रियोदशी को कामदेव की पूजा करने से वैवाहिक
सुख भी पूर्णरूप से मिलता है।
इस तिथि का खास नाम
जयकारा भी है। समान्यता त्रयोदशी तिथि यात्रा एवं शुभ कार्यो के लिए
श्रेष्ठ होती है। त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए ।
नक्षत्र अनुराधा - 17 दिसम्बर सुबह 04:13 तक तदोपरांत ज्येष्ठा ।
नक्षत्र
के देवता, ग्रह स्वामी अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र देव हैं एवं ग्रह
स्वामी शनि देव है तथा ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इन्द्र देव हैं एवं ग्रह
स्वामी बुध देव है ।
योग - धृति - रात्रि 02:15 तक तदोपरांत शूल ।
प्रथम करण : - वणिज - 07:10 तक ।
द्वितीय करण : - विष्टि - 20:18 तक ।
गुलिक काल : - शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
दिशाशूल शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यदि यात्रा आवश्यक हो घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
राहुकाल -सुबह - 9:00 से 10:30 तक।
सूर्योदय -प्रातः 07:01 ।
सूर्यास्त - सायं 05:25 ।
विशेष
- त्रयोदशी को बैंगन नहीं खाना चाहिए। (त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र
को कष्ट मिलता है और पुत्र की तरफ से भी दुःख प्राप्त होता है )।
पर्व त्यौहार-
मुहूर्त - त्रयोदशी तिथि को राज संबंधी कार्य ( सरकारी कार्य ), व्रतबंध, प्रतिष्ठा, विवाह, यात्रा, भूषणादि के लिए शुभ होते हैं।
त्रयोदशी तिथि को यात्रा, शिल्प, चूड़ा कर्म, अन्नप्राशन व गृह प्रवेश शुभ है।
चतुर्दशी तिथि भी रिक्ता तिथि है इसलिए इस दिन भी कोई भी नया, मांगलिक कार्य वर्जित है ।
"हे
आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के
देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग
को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त
क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
पौष / पूस माह (दिसम्बर-जनवरी) में धनिया का सेवन नहीं करना चाहिए ।
इस माह में तिल का सेवन विभिन्न रूपों में अधिक से अधिक करें ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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